Pariksha (परीक्षा | Exam) का नाम सुनते ही छात्रों के मन में कई तरह की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं| जैसे डर, चिंता, तैयारी और कभी-कभी उत्साह भी रहता हैं। परीक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का परीक्षण करना ही नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है जो किसी व्यक्ति की योग्यता, समझ और टैलेंट को मापने में मदद करता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि Pariksha क्या है, इसका इतिहास, इसे किसने खोजा, सर्वप्रथम कहां से Exam की शुरुआत हुई, और इसके प्रकार क्या हैं। यह सब कुछ आप ऐसे लेख में पढ़ने वाले हैं।
परीक्षा क्या है? (What is Exam)
Pariksha एक प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति की Gyan, skills, और योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। यह एक निश्चित Time समय-सीमा में निर्धारित प्रश्नों या चुनौतियों के माध्यम से किया जाता है।
Examination एक education प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। यह student की प्रगति को आंकने का सबसे प्रमुख तरीका मानी जाती हैं। इस प्रकार से आप परीक्षा (Pariksha) को जान गए होंगे, या ऑलरेडी जानते होंगे। चलिए अब इसका हिस्ट्री जानते हैं कब से शुरुआत और कैसे हुई, आगे पढ़ते हैं।
परीक्षा का इतिहास और खोज (history of exam)
दोस्तो Pariksha का इतिहास काफी पुराना है। इसका प्रारंभ प्राचीन चीन से माना जाता है, जहा पर “इंपीरियल एग्जामिनेशन सिस्टम” (Imperial Examination System) का प्रचलन होता था। इस प्रणाली का उपयोग Sarkar के लिए योग्य प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करने के लिए किया जाता था।
1- China में परीक्षा की शुरुआत :
दोस्तो लगभग 605 ईस्वी में चीन के तांग वंश (Tang Dynasty) के समय, यह Pariksha प्रणाली प्रारंभ हुई। इसे “केजू प्रणाली” (Keju System) भी कहा जाता था। जिसमें उम्मीदवारों का परीक्षण लेखन, काव्य और Confucian दर्शन पर आधारित होता था। यह परीक्षा अत्यंत कठिन होती थी और इसे पास करना सम्मान का विषय माना जाता था।
2- पश्चिम में परीक्षा का आगमन :
China से Exam प्रणाली की प्रेरणा लेकर, 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश प्रशासन ने इसे अपनाया और आधुनिक शिक्षा प्रणाली में परीक्षाओं को शामिल किया गया । इसके बाद इसे पूरी दुनिया में Education मानक के रूप में लागू किया गया।
3- भारत में परीक्षा का इतिहास :
दोस्तों भारत में Pariksha की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसके बाद 1853 में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने Civil Service Exam शुरू की, जिसे भारतीयों के लिए भी परीक्षा शुरू कर दी गई ।
धीरे-धीरे यह प्रणाली स्कूलों और कॉलेजों में भी लागू हुई। इससे पहले, गुरुकुल प्रणाली में छात्रों का मूल्यांकन मौखिक और व्यावहारिक रूप से Exam के रूप में किया जाता था, लेकिन लिखित परीक्षा का कोई प्रचलन नहीं था।
इस प्रकार से आपने परीक्षा की शुरुआत के बारे में पढ़ा। कब इसकी शुरुआत हुई, कैसे हुई। चलिए अब हम एग्जाम के प्रकार जानते हैं।
परीक्षा के प्रकार (type of exam)
देखा जाए तो आज की एजुकेशन प्रणाली में परीक्षाओं के कई प्रकार हैं। इन्हें विभिन्न उद्देश्यों और विषयों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता हैं। चलिए कुछ प्रकार जानते हैं।
1- शैक्षिक परीक्षाएँ (Academic Exams) :
दोस्तों यह सबसे आम प्रकार की परीक्षाए हैं, जो स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आयोजित की जाती हैं। ये लिखित, मौखिक और प्रैक्टिकल के तौर पर हो सकती हैं। जैसे:
- वार्षिक परीक्षा : यह साल के अंत में होने वाली परीक्षा हैं।
- सेमेस्टर परीक्षा : यह एग्जाम हर छह महीने में होने वाली सेमेस्टर कहलाता है।
- प्रतियोगी परीक्षा (Competitive Exams) : जैसे कि IIT-JEE, NEET, UPSC आदि।
2- ऑनलाइन परीक्षाएँ (Online Exams) :
देखा जाए तो आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन परीक्षाएँ तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। इनमें समय की बचत होती है और परिणाम जल्दी घोषित होते हैं।
3- कौशल आधारित परीक्षाए (Skill-Based Exams) :
इनमें विशेषकर किसी व्यक्ति की व्यावसायिक या तकनीकी Skill का परीक्षण किया जाता है। जैसे कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग टेस्ट, डिजाइन टेस्ट आदि।
4- मनोवैज्ञानिक परीक्षाए (Psychometric Tests) :
दोस्तों इन परीक्षाओं का उपयोग किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति, व्यक्तित्व और क्षमताओं का मूल्यांकन करने के लिए (इंटरव्यू के तौर पर) Pariksha किया जाता है।
5- अंतर्राष्ट्रीय परीक्षाएँ (International Exams) :
ये Exams वैश्विक स्तर (Global Level) पर आयोजित की जाती हैं, जैसे कि TOEFL, IELTS, और GRE आदि। चलिए अब हम एग्जाम का महत्व जानते हैं।
परीक्षाओं का महत्व
दोस्तों मैं बताना चाहता हूं कि Exam (Pariksha) केवल छात्रों के ज्ञान का परीक्षण करने के लिए ही नहीं होती हैं बल्कि यह उनके आत्म-विश्वास और अनुशासन को भी बढ़ाता हैं।
ये Students को उनके मजबूत और कमजोर क्षेत्रों के बारे में जानकारी देता हैं, जिससे वे अपनी कमियों पर काम कर सकें। और एग्जाम की पूरी तैयारी कर सकें।
निष्कर्ष :
दोस्तों Exam उर्फ Pariksha शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य केवल अंक देना या ग्रेड करना ही नहीं है, बल्कि यह छात्रों को जीवन के लिए तैयार करना होता है। परीक्षा के बढ़ते दबाव और तनाव के कारण यह जरूरी हो गया है कि इसे संतुलित और उचित ढंग से लिया जाए। यदि परीक्षा को सीखने और आत्म-विकास का माध्यम समझा जाए, तो यह निश्चित रूप से छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहायक सिद्ध होगी। आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
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