Swami Vivekananda Thoughts In Hindi. स्वामी विवेकानंद उद्धरण

Swami Vivekananda Thoughts: स्वामी विवेकानंद ने सफलता पर हिन्दी में उद्धरण दिया Swami Vivekananda के महत्त्वपूर्ण विचार नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट में गुरु को याद करते हुए, गुरु पूर्णिमा पर और आज हम Swami Vivekananda के कुछ अनमोल विचारों को आपके साथ साझा करने वाले हैं। जैसे कि आप जानते हैं।

Swami Vivekananda Thoughts In Hindi
Swami Vivekananda Thoughts In Hindi

स्वामी विवेकानंद उद्धरण (Swami Vivekananda Thoughts)

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। Swami Vivekananda का विचार पवित्रता ढेर तथा प्रयत्न के साथ सारी बाधाएँ दूर-दूर हो जाते हैं। इससे कोई संदेह नहीं है, महान कार्य सभी धीरे-धीरे होते हैं। हम वह हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं।

सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए. शारीरिक बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी कमजोर बनता है। उसे ज़हर उसे ज़हर की तरह त्याग देना चाहिए. सबसे बड़ा धर्म है, अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना। स्वयं पर विश्वास करो धर्म कहाँ गया है। वह व्यक्ति नास्तिक हैं जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता। वह नास्तिक है जो अपने आप पर विश्वास नहीं करता।

महत्त्वपूर्ण विचार Swami Vivekananda

Swami Vivekananda Thoughts In Hindi
Swami Vivekananda Thoughts In Hindi

एक विचार लो उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जियो, अपने मस्तिष्क मांसपेशियों नसों शरीर के हर हिस्से में उस विचार में डूब जाने दो और बाक़ी सभी विचारों को किनारा रख दो यही सफल होने का तरीक़ा है। Swami Vivekananda विचार निर्भया होना ही अस्तित्व का राज है। इस बात से ना डरो की ज़िन्दगी में तुम्हें क्या बनोगे, किस पर निर्भर ना रहो।

किसी पर निर्भर ना रहो, जिस पल तुम सबकी मदद स्वीकार करते हैं, वह पल तुम मुक्त हो जाते हो Swami Vivekananda विचार निर्भय होना ही आस्तिक का राज है। इस बात से ना डरो इस ज़िन्दगी में तुम क्या बनोगे किस पर निर्भर किसी पर निर्भर ना रहे हो जिस पल तुम सबकी मदद अस्वीकार करते हो उस पल तुम्हें मुक्त हो जाते हो।

स्वामी विवेकानंद ने सफलता पर हिन्दी में उद्धरण

किसी एक विचार को अपने जीवन में लक्ष्य बनाओ, को विचार का त्याग कर केवल उसी विचार के बारे में सोचो, तुम पाओगे कि सफलता तुम्हारे क़दम चूम रही हैं। Swami Vivekananda विचार आप जैसे विचार करेंगे वैसे आप हो जाएंगे। अगर अपने आप को निर्मल मानोगे तो आप निर्मल बन जाएंगे और यदि जो आप अपने आप समर्थ बनोगे तो समर्थ बन जाओगे।

Swami Vivekananda Question (स्वामी विवेकानंद से पूछा)

एक बार किसी शख़्स ने Swami Vivekananda जी से पूछा, सब कुछ खोने के बाद होने से ज़्यादा बुरा क्या है? Swami Vivekananda जी ने जवाब दिया। उस उम्मीद को खो देना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते हैं। यदि आप मेरे पास आकर किसी और की बुराई करते हो तो मुझे कोई संदेह नहीं है। कि आप दूसरों के पास जाकर मेरी भी बुराई करते होंगे।

स्वयं में बहुत-सी कमियों के बावजूद अगर मैं स्वयं से प्रेम करता रह सकता हूँ। तो फिर दूसरों में थोड़ा बहुत कमियों की वज़ह से उन्हें गहरा कैसे कर सकता हूँ। संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीक़ा है, असंभव के आगे निकल जाना। Swami Vivekananda जी ने कुछ अलग-अलग विषयों पर अपने विचार दिए जिनके विचारों के माध्यम से हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। एक अच्छे इंसान बन सकते हैं।

अलग-अलग विषयों पर Swami Vivekananda विचार

स्वामी विवेकानंद जी ने त्याग के बारे में कहा है। अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है। स्वामी विवेकानंद जी ने स्वभाव पर अपने महत्त्वपूर्ण विचार देते हुए कहा है कि स्वभाव के अनुसार उन्नति कीजिए, संस्कार स्वयं आपके पास चले आएंगे। चरित के बारे में स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है। चारित्रिक गठन इंसान की प्रथम आवश्यकता है।

Swami Vivekananda जी ने एकाग्रता पर अपने विचार व्यक्ति हुए मानव समाज का कल्याण करने की बात में, एक विचारधारा को प्रस्तुत किया। जैसे कि एकाग्रता आवेश को पवित्र और शांत कर देती है। विचारधारा को शक्तिशाली और कल्पना को स्पष्ट करती है। स्वामी विवेकानंद जी ने जीवन के बारे में अपना एक विचार दिया, जैसे तुम जगत की आत्मा हो, तुम सूर्य, चंद्र, तारा, हो तुम ही सर्वत्र चमक रहे हो।

समस्त जगत तुम ही हो, किससे झगड़ा करोगे और किससे झगड़ा करोगे आते हो जान लो कि तुम वही हो और इसी सूची में अपना जीवन डालो। Swami Vivekananda जी ने संकल्प अपने विचार व्यक्ति हुए कहा है, उठो और संकल्प लेकर कार्य में जुट जाओ यही जीवन भला है। कितने दिन का है जब तुम इस संसार में आए हो, तो कुछ दिन छोड़कर जाओ अन्यथा तुम्हें और वृक्ष आदि में अंतर ही क्या रह जाएगा।

Swami Vivekananda जी कहते हैं:

स्वामी विवेकानंद जी ने जीवन में निराशा से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है। ऐसे विचार दिए धर्म के बारे में स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि सच्चा धर्म सकारात्मक होता है, नकारात्मक नहीं। असत्य से बच बने रहना ही केवल धर्म नहीं है, वास्तव में कार्यों को करने करते रहना ही धर्म है। सच्चा धर्म की कसौटी तो पवित्र पुरुषार्थ है।

Swami Vivekananda जी ने ईश्वर के बारे में हम लोग हम सब को संदेश दिया है। यदि ईश्वर है तो हमें उसे देखना चाहिए. यदि आत्मा है तो हमें उसका प्रत्यक्ष अनुभूति कर लेना चाहिए. अन्यथा उन पर विश्वास ना करना ही अच्छा है। ढोंगी बढ़ने की अपेक्षा स्पष्ट रूप से नास्तिक बनना अच्छा है।

Conclusion

स्वामी विवेकानंद जी ने अपने अनुयायियों को बहुत अच्छे सिद्धांतों को बतलाया है। यदि हम थोड़े बहुत सिद्धांतों पर चलते हैं, तो हम एक सफल मानव का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं। दोस्तों आपने हमारे गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, हम सब को एक अनमोल विचारों के साथ आदान प्रदान करते हुए. आपको यह पोस्ट साझा कि गई. आपको कैसी लगी आप कमेंट के माध्यम से ज़रूर बताएँ। अपने दोस्तों के साथ इन अनमोल वचनों को ज़रूर साझा करें। धन्यवाद

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